प्रभु श्री राम जी का जन्म::::
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर जय कपी स लोक उजागर रामदूत अतुलित बल धामा सुनिए त्रेता युग की बात है ब्रह्मा जी देवराज इंद्र अग्नि वायु आदि सारे देवता सप्त ऋषि गण और पृथ्वी देवी सब मिलकर वैकुंठ लोक जा पहुंचे सुरेशम विश्वाम गगन सदम मेघ वर्ण शुभम लक्ष्मीकांतम कमल नयनम योगन [संगीत] गम्यम वंदे विषण भव भय हरम सर्व लोकना [संगीत] हे देवताओं के स्वामी शरणागत के रक्षक आपकी जय हो हे कृपालु आपकी लीला अदभुत है उसका भेद कोई नहीं जानता है कोई भी उसको जानने का अभिमान नहीं कर सकता है और उसे वही जान सकता है जिस पर आपकी कृपा हम पर कृपा करें
प्रभु पापों का नाश करने वाले नारायण हमारी सध ले प्रभु देवी पृथ्वी एवं समस्त देवता अपने मन वचन और कर्म से चतुराई छोड़कर आपकी शरण में आए हैं हे अविनाशी हमें दर्शन देकर हमारा उपकार करें प्रभु [संगीत] [संगीत] हे भक्त वत्सल भगवान हे अरणों के शरण हमारी रक्षा कीजिए प्रभु हे श्रीपति आप ही मेरे पालक है आप ही मेरे रक्षक है नाथ आप ही के आदेश पर मैं इस मृत्यु लोक के समस्त जीवों को आश्रय देती हूं उनका भार उठाती हूं सब सहन करते हुए मैं उनका लालन पालन करती हूं किंतु यह राक्षस राज रावण मुझे ऐसी पीड़ा दे रहा है
रावण का घोर अत्याचार::::
जो मेरे लिए असहनीय हो गई है अपने बल के मद में चूर होकर रावण चारों ओर आतंक फैला रहा है जिसे भी वह थोड़ा बलवान समझता है उसे यह उन्मादी रावण युद्धम देही युद्धम देही कहकर युद्ध के लिए ललकार रहता है और जो निर्बल और शांति प्रिय जीव है उसे भी बिना कारण सताता रहता है रावण और उसके राक्षस ऋषियों को यज्ञ नहीं करने देते मुनियों को तपस्या नहीं करने देते और अपने मनोरंजन के लिए निर्दोष जीवों की हत्याएं करता है पूरी पृथ्वी पर रावण ने स्त्रियों के अपहरण और अत्याचार का अभियान चला रखा है कोई भी स्त्री कहीं भी सुरक्षित नहीं हे विशंभर उसका यह अत्याचार
देख मुझ मां का हृदय फटा जाता है मुझ से अब और सहन नहीं होता प्रभु मुझे इस राक्षस से मुक्ति [संगीत] दिलाइक भी यह रावण निरंतर प्रताड़ित कर रहा है हम देवता प्रकृति के नियमों की रक्षा करते हैं हमारे कारण कोई भी तत्व अपनी मर्यादा भंग नहीं करता किंतु रावण हमें भी सनातन नियम तोड़ने के लिए विवश करता है और उसके भाई के हम सब कुछ नहीं कर पाते [संगीत] [संगीत] मेरे मार्ग में बाधा इंद्र तेरा ये त साहस अपने मेघों के द्वारा तू मुझे रोकना चाहता है अपनी परा आज फूल गया [संगीत] क्या कहे तो याद दिलाओ या एक बार फिर मुझसे टकराना चाहत ा
है यदि यही इच्छा है तो आ आ आ हटा अपने बादल नहीं तो मैं अभी ी क्षण तेरा उपचार करे देता [हंसी] हूं बहुत अच्छे बहुत अच्छे सची पति इंद्र तुमने शीघ्र ही समझ लिया कि मेरी मित्रता में ही तेरा हित है [संगीत] [संगीत] [हंसी] [संगीत] सूर्य देवता ये क्या कर रहे हैं आप अपने सम्राट से कुछ सीखिए और मेरे अनुकूल रहा कीजिए देखते नहीं आपकी किरणों के ताप से कैसे मेरा माथा जला जाता है और हां वो चंद्रदेव उस चंद्रदेव से कहो वातावरण को थोड़ा शीतल [संगीत] [हंसी] कर जाओ [संगीत] हे प्रभु रावण के अत्याचारों से हमारी रक्षा का सामर्थ्य केवल आप में है
रावण के अत्याचार से सभी मानवों की रक्षा::::
आप समस्त जीवों की अंतरात्मा है और हम सब में जो कुछ भी शक्ति है वह आपसे ही है हम आपकी शरण में है हे अक्षर शीघ्र ही हमारा उद्धार कीजिए श्रीपति नहीं तो यह सारी व्यवस्था नष्ट हो जाएगी जगतपिता ब्रह्मा का वरदान पाकर यह रावण मनमाना हो गया है इस समय ब्रह्मांड में उसे अनुशासित करने की शक्ति किसी के पास नहीं है हे प्रभु क्या उस आतताई से हमें कभी मुक्ति नहीं मिल पाएगी आप निराश ना हो ब्रह्मण मेरी प्रतिज्ञा है कि जब जब गौ माता विप्र जन संत समुदाय और देवताओं पर विपत्ति आएगी जब जब अविश्वास अनाचार और अधर्म की वृद्धि
होगी और धर्म की हानि होगी जब जब भक्त मेरा उपहास करेंगे मेरी भक्ति को अंधविश्वास समझेंगे और तब मैं सज्जनों की रक्षा के लिए और दुर्जन के विनाश के लिए यज्ञ की वैदिक मर्यादा और धर्म स्थापना के लिए मैं अवतार लूंगा मेरी यह प्रतिज्ञा अटल है भक्तों की रक्षा के लिए मैं अवश्य अवतार लूंगा भगवान विष्णु की जय भगवान विष्णु की जय भगवान विष्णु की जय [संगीत] [संगीत] पूर्व काल में रावण ने कठोर तपस्या की थी और ब्रह्मा जी से वरदान ले लिया था कि उसे देवता दैत्य गरुड़ नाग यक्ष आदि कोई भी ना मार सके किंतु उस समय उसनेम
नुष्यों का नाम नहीं लिया और यह तिरस्कार से कहा कि मनुष्य तो उसके लिए तिनके के बराबर है अहंकार सदैव पतन का कारण होता है रावण के भी विनाश कारण उसका अहंकार बनेगा क्योंकि शीघ्री में मनुष्य रूप में अवतार लेकर दुराचारी रावण का वध कर [संगीत] दूंगा हे पुरुषोत्तम हमें क्या करना होगा आदेश दीजिए प्रभु आप सब भी पृथ्वी पर अपने अपने अंशों से वानर कुल और रक्ष कुल में अवतार लीजिए समय आने पर रावण के विरुद्ध धर्म युद्ध में मैं आपकी सहायता [संगीत] लूंगा आप समस्त जगत के पालक है हे धरनी धर आपसे हीय ब्रह्मांड जन्म लेता
रावण का बिनास::::
है और आप ही प्रलय काल में इसे अपने में लीन कर लेते हैं हे प्रभु रावण के विनाश के लिए आपका एक कटाक्ष ही पर्याप्त है फिर भी आप हमारी सहायता चाहते हैं हे प्रभु हमें आशीर्वाद दीजिए कि हम आपकी लीला से मोहित होकर अहंकारी ना हो जाए [संगीत] [संगीत] आपकी दीदी देवी रुक्मिणी प्रेम में समर्पण तो करती हैं किंतु प्रदर्शन [संगीत] नहीं फिर भी मेरे प्रति उनका गहन प्रेम वो कुछ अफसरों [संगीत] पर उजागर हो ही जाता है क्या बात है प्रिय कुछ कहना चाहती हैं कुछ भी तो नहीं नाथ यह नरा अवतार मैं धर्म की स्थापना के लिए ले रहा हूं
प्रिय किंतु कोई भी धर्म कार्य धर्म पत्नी के बिना पूरा नहीं हो सकता आप मेरी सहचर आपको ही यह दायित्व निभाना होगा इस अवतार में मैं अनाचार राक्षसों का वध तो करूंगा ही किंतु यह अवतार लेने का मेरा उद्देश्य अपने जीवन चरित्र के माध्यम से सदाचार का आदर्श प्रस्तुत करना है मनुष्यों की शिक्षा और प्रे के लिए मैं सत्य और धर्म के दो पैरों पर चलूंगा और जीवन की मर्यादाओं पर अडिग रहूंगा मेरा यह अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से प्रसिद्ध [संगीत] होगा ओम नमः शिवाय राम राम ओ राम राम राम राम ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय ओम नमः
[संगीत] [प्रशंसा] शिवाय आप किसका कर रहे हैं [संगीत] महादेव राम मेरे राम राम कैसी शीतलता है इस नाम में अनादि काल से ही यह नाम इस जगत का सबसे सिद्ध और सरल मंत्र है वो कैसे ओम नमो नारायण मंत्र से बजर [संगीत] रा और ओम नमः शिवाय मंत्र से बजाकर मां को मिला देने से इस राम मंत्र की रचना होती [संगीत] है इस अमूल्य मंत्र में भगवान विष्णु की कल्याणकारी शक्ति के साथ मेरी शक्ति का यह मंत्र सर्व मंगलकारी है मोक्ष कारी है और सभी प्राणियों के कल्याण की राम बाण औषधि है आपकी महिमा निराली है भोलेनाथ आप जब उग्र रूप धारण करते हैं तो
तीनों लोग कांपने लगते हैं और जब प्रेम मगन होते हैं तो ऐसे कि देखने वाला भी आनंदमय हो जाए जो आनंद मेरे मन में जागा है शीघ्र ही वह पूरे पृथ्वी लोक पर छा जाएगा वो कैसे महादेव क्योंकि आपके जो परम रहस्यमय महान भाई भगवान विष्णु है ना वे मनुष्य रूप में जन्म लेने वाले हैं और इस मनमोहक अवतार में उनका नाम होगा श्रीराम श्री राम वे मेरे भाई अवश्य है नंदीश परंतु आपके प्रेम और समर्पण के समक्ष मेरा प्रेम तो कहीं ठहरता ही नहीं ऋषियों ने भी सत्य कहा है शिवाय विष्णु रूपाय शिव रूपाय विष्णवे शिवस हृदयम विष्णु विष्णु हृदयम
ब्रह्माजी के वरदान का स्वागत::::
शिव अर्थात शिव विष्णु का रूप है और विष्णु शिव का रूप है शिव विष्णु के हृदय में वास करते हैं और विष्णु शिव के हृदय में परंतु महादेव श्री नारायण को अवतार लेने की क्या आवश्यकता है जब चाहे तब अपने चक्र से रावण के दसों सिर काट सकते हैं निश्चित ही काट सकते हैं शैलपुत्री किंतु श्री हरि ब्रह्मा जी के वरदान की अवहेलना नहीं करेंगे किंतु ब्रह्मा जी भगवान विष्णु और मैं तीन अलग अस्तित्व अविष्य किंतु मूल में हम तीनों एक ही भवानी इस रावण ने [प्रशंसा] 10 सहस्त्र वर्षों तक बड़ी कठिन तपस्या करके इतने शुभ कर्मों का संचय कर लिया कि ब्रह्मा जी को बात
होकर उसे मनचाहा वरदान देना ही पड़ा और तब से वह अजय होकर अत्याचारी हो ग इसलिए जब तक उस पापी के पूर्व पुण्य का क्षय नहीं हो जाता उसका वध नहीं किया जा सकता अब उसका काल निकट आता जा रहा है और शीघ्र ही भगवान विष्णु श्री राम का अवतार लेके उसका अंत कर डालेंगे और उनके इस कार्य में मैं उनकी सहायता करूंगा आप महेश्वर हां भवानी भगवान विष्णु के इस राम अवतार के साथ-साथ आंश वानर कुल में उत्तम वानर हनुमान बनकर जन्म लेगा और अपनी भक्ति और समर्पण से प्रभु को प्रसन्न करें और राम नाम की सिद्धि
को प्रसिद्ध करेगा [संगीत]
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