त्रेता युग की संपूर्ण कथा विस्तार से
[संगीत] लाखों वर्ष पहले पाप और पुण्य के बीच एक भयंकर युद्ध हुआ था जिसमें पुण्य के पक्ष में थे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम और पाप का प्रतीक था आतताई राक्षस रावण बात त्रेतायुग की है लंकेश रावण के अत्याचारों से मानवता त्रा त्रा करने लगी थी तब धर्म की रक्षा के लिए भगवान श्री राम ने वानर सेना के साथ सागर पार जाकर रावण से संग्राम छेड़ दिया भगवान राम के अमोक बाणों से रावण के प्रधान सेनापति जब मारे जाने लगे तो रावण सेना में सब और हताशा व्याप्त हो गई इस विनाश से चिंतित होकर रावण ने विशालकाय कुंभकर्ण को युद्ध
भूमि में भेजा क्रूर कर्मा कुंभ वानरों को गाजर मूली के समान खाने लगा इस विकराल स्थिति को देखकर वीर लक्ष्मण ने भगवान श्री राम से कुंभकरण का अंत करने की प्रार्थना की धनुर्धारी श्री राम ने एक बाण से उसकी दक्षिण भुजा काट डाली और दूसरे बाण से उसका सिर झेर दिया कुंभकर्ण की पर्वता आकार दे भूमि पर गिरते ही वानर सेना में उल्लास की लहर दौड़ पड़ी और सबो जयघोष होने ल लगा अपने भाई कुंभकर्ण की मृत्यु के पश्चात रावण के सम्मुख अंतिम आशा बची देव राजेंद्र को भी जीतने वाला उसका पुत्र मेघनाथ घोर कर्मा मेघनाथ विभिन्न अस्त्र
शस्त्रों से वानरों का संहार करने लगा उसके इस विकराल पराक्रम से वानर सेना व्यथित हो उठी वो निशाचर इस पर ही नहीं रुका और अदृश्य होकर मायावी युद्ध करने लगा अदृश्य शत्रु के साथ हम कैसे युद्ध करें हम अधर्म नहीं कर सकते आज हमारा दिन नहीं है प्रभु श्रीराम ने सर्वशक्तिमान होते हुए भी इस निशाचर लीला का उत्तर नहीं दिया और तब युद्ध विशारद मेघनाद ने ब्रह्मास्त्र का आह्वान किया ब्रह्मास्त्र के प्रभाव से तक्षण ही समस्त 64 करोड़ वानर सेना युद्ध भूमि में मरणासन्न होकर गिर पड़ी शेषा अवतार श्री लक्ष्मण सहित परात्पर ब्रह्म के अवतार प्रभ रघुनंदन
श्री राम भी [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] मा [संगीत] रिक्षा जामत आप जीवित तो है विभीषण हनुमान जीवित है ना क्या कहा श्री राम हनुमान हनुमान जीवित है क्या आपका प्रश्न उचित नहीं है राज पूछिए श्री राम जीवित है क्या मेरा प्रश्न उचित ही है यदि हनुमान जीवित है तो श्री राम पर कोई संकट नहीं आ सकता संकट से उभरने के लिए जिस असीम पराक्रम की आवश्यकता है वह केवल हनुमान के पास ही है हनुमान के बिना हम लोग जीते हुए भी मृतक के समान और और यदि संकट मोचन महाबली हनुमान जीवित है तो यह मरी हुई सेना फिर से उठकर लड़ेगी ह युद्ध जीत के
[संगीत] रहेगी [संगीत] [संगीत] [संगीत] [संगीत] [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] [संगीत] [संगीत] [संगीत] [संगीत] [संगीत] [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा राधे राधे कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा राधे राधे कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा राधे राधे कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा राधे राधे कृष्ण कृष्ण कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा [संगीत] कृष्णा सखी जामवंती आपने यदुनाथ के दर्शन किए क्या
नहीं तो रानी सत्यभामा कल रात भर से तो वे आपके कक्ष में थे [संगीत] थे और प्रात काल से उपासना कक्ष में है अच्छा चलिए देखते [संगीत] [संगीत] हैं [संगीत] [संगीत] प्रतीत होता है प्रभु की पूजा र तक चलने वाली है प्रश्न ही नहीं उठता पुरुषोत्तम तो मेरे कक्ष में लौट आने के लिए स्वयं अधीर हो रहे होंगे अधीर मुझे तो ऐसा नहीं [संगीत] [प्रशंसा] दिखता उपासना के समय प्रियतम के अधर पर मुकान कैसी कहीं यह मेरे कथन पर तो नहीं नहीं नहीं निश्चित ही भगवान जनार्दन जामवंती की बाल बुद्धि पर मुस्कुरा रहे होंगे यह सत्य सदैव अपने सौंदर्य के अभिमान में चूट रहती
[संगीत] है भगवान फिर मुस्कुरा रहे हैं कहीं मेरी वाचाल पर तो [संगीत] [प्रशंसा] नहीं भगवान रासे शवर के रहस्य को तो केवल रुक्मिणी दीवी ही जान सकती [संगीत] [संगीत] है सिंदूर रुण विग्रहम ना माणिक्य माली स् पुर तारा नायक शेखरा स्मित मुखी मापन [संगीत] बरहा पाण मली पूर्ण रत्न चकम रतो पलम बति सौम्या रत्न घट रक्त चरणाम ध्या पराम काम अरुणाम करुणा तरंग त पाम कुश पुष्प वाण अ माद भी राता अव विभव [संगीत] भवानी [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] आइए दीदी यहां पर आप ही की चर्चा हो रही थी अच्छा वो भला क्यों आज द्वारकानाथ
उपासना करते हुए मंद मंद मुस्कुरा रहे [संगीत] हैं लीजिए अब आप भी आप लोग इन्हे जानते तो है मुस्काना तो हमारे प्रभु का स्वभाव है कृष्णा और सत्य वामा से अच्छा भगवान नारायण के रहस्य कौन जान सकता है क्य सत्य [संगीत] पिय बात लिए मत दीदी बताइए ना अरे मैंने देखा होता तो मैं कदाचित बता भी सकती थी और वैसे भी भगवान अनंत के मन में कब क्या चलता है अन्य कौन जान सकता है वो तो रहस्यों के सागर [संगीत] है लो लगता है उनकी उपासना संपूर्ण हो गई उन्हीं से पूछते हैं [संगीत] अरे आप सब यहां मुझसे कोई अपराध तो नहीं हो गया
[संगीत] देवियों प्राण वल्लभ हम सब यहां आपके मुस्कान के रहस्य को जानने की जिज्ञासा से पीड़ित है [संगीत] नाथ हमारी पीड़ा का समाधान कीजिए [संगीत] [संगीत] माधव आज चैत्र पूर्णिमा है हनुमान [प्रशंसा] [संगीत] जयंती आज ही के शुभ पर्व पर पवन पुत्र वीर हनुमान का जन्म हुआ [संगीत] था मैं उन्हीं के स्मरण में आनंद मगन [संगीत] था शंकर सुवन केसरी नंदन तेज प्रताप महा जग वंदन हनुमान अपार बलशाली हनुमान ज्ञानियों में अग्रणी हनुमान परम योगी हनुमान पवन वेग से उड़ने वाले हनुमान एक छलांग में 100 योजन सागर पार कर जाने वाले
[संगीत] हनुमान संकट मोचन महाबली हनुमान मेरे प्रिय हनुमान उनकी हर लीला एक से बढ़कर एक रोमांचकारी और आनंददायक है अंजनी नंदन हनुमान की कीर्ति सदय बरती रहे अस्तु उनके जैसी अनन्य भक्ति दुर्लभ है सत्य कहा देवी मेरे हर भक्त में कभी ना कभी अहंकार आ ही जाता है किंतु हनुमान में [संगीत] नहीं वे अहंकार शून्य है आहा हनुमान कितना समय बीत गया भक्त हनुमान के दर्शन [संगीत] स्वामी क्या हम लोग उनके पुन दर्शन नहीं कर सकते आपने मेरे मन की बात बाप ली प्रिय मेरा भी मन प्रिय हनुमान को देखने के लिए आतुर हो रहा [संगीत] है और आज तो अच्छा अवसर भी
है किसी योग्य व्यक्ति को ही यह शुभ कार्य सौंपना होगा [संगीत] पक्षीराज [संगीत] [संगीत] गरुड़ रय पक्षी [संगीत] राज भगवान का यह भवन मेरे द्वारा रक्षित है और जब तक इस द्वार पर मैं स्थित हो किसी भी आवां चित व्यक्ति का प्रवेश असंभव है चाहे वह स्वयं सचि पति इंद्र या पितामह ब्रह्मा ही क्यों ना हो और आप तो जानते ही हैं इस समस्त ब्रह्मांड में मैं सर्वश्रेष्ठ अस्त्र हूं आप मेरा उल्लंघन करके भीतर नहीं जा सकेंगे यदि ऐसी बात है तो आप भी सुन अस्त्र सुदर्शन पूरे ब्रह्मांड में मेरे भी वेग और गति की कोई तुलना नहीं है मैं
समस्त चराचर के स्वामी का भार वहन करता हूं यदि मैंने अपना भार आप पर डाल दिया तो आप हिल भी नहीं सकेंगे यदि ऐसा ही है तो आप अपने बल की परीक्षा कर सकते हैं पर ध्यान रहे मेरी मार्क शक्ति के सम्मुख इंद्र का वज्र भी व्यर्थ हो गया था पक्षीराज को प्रवेश की अनुमति है मित्र [संगीत] [संगीत] सुदर्शन स्वागत है पक्षी राज [संगीत] गरुड़ सब कुशल तो है पक्षीराज आपके इस सेवक के लिए अकुशल असंभव है प्रभु क्या आज्ञा है भगवान आज प्रिय हनुमान से मिलने की तीव्र आकांक्षा हो रही है क्या आप जाकर शीघ्र उन्हें यहां ले आएंगे जी
प्रभु आप किस हनुमान की चर्चा कर रहे हैं स्वामी आप हनुमान को भूल गए विनेता नंदन मैं उसी हनुमान की बात कर रहा हूं बाल्यकाल में ही जिसने तपते हुए सूरज को लाल फल समझकर निगलने का प्रयास किया था जिसके भय से कांपते हुए भयंकर राक्षस राहु देवाधि पति इंद्र के पास भागता चला गया था वही हनुमान जिसने देवराज इंद्र के वाहन गजराज रावत को एक मन भावन खिलौना समझकर यत्र तत्र उछालना आरंभ कर दिया था वही हनुमान जिसने रावण की सोने की लंका को एक घड़ी में ही जलाकर राख कर दिया था मैं संकट मोचन महाबली हनुमान की बात कर रहा [संगीत]
हूं स्मरण आया पक्षीराज जी प्रभु किंतु त्रेता युग से अब तक कई लाख वर्ष व्यतीत हो चुके हैं क्या वह हनुमान अभी तक जीवित होंगे हमारे हनुमान चिरंजीवी है कल्पा तक वह अपने इसी केसरी नंदन स्वरूप में रहेंगे यदि ऐसा है तो इस धरा पर वह कहीं पर भी हो मैं अपनी पैनी दृष्टि से उनका अन्वेषण करके शीघ्र अति शीघ्र आपके समक्ष उपस्थित करता हूं आपकी पैनी दृष्टि पर मुझे कभी भी संदेह नहीं था [संगीत] वंते परंतु आपको इतना परिश्रम करने की आवश्यकता नहीं है आप सीधे किम पुरुष वर्ष में जाएं वहां पर हेम कुट पर्वत के जिस भी शिखर पर आपको राम नाम का निरंतर जाप उठता
सुनाई दे भक्त शिरोमणि हनुमान आपको उसी पर्वत पर मेरे ध्यान में आसीन मिलेंगे आप शीघ्र उन्ह मेरे समीप ले आइए यदि यह कार्य आपने पवन देव को सौंपा होता तो कदाचित विलंब की संभावना थी मैं यह गया और यह आया हनुमान के साथ आपका वेग तो अतुलनीय है पक्षी रा आज्ञा दे प्रभु [संगीत] और सबसे अच्छी बात तो यह है कि आपको अपने वेग का दिल मात्र भी अहंकार [प्रशंसा] [संगीत] नहीं [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] [संगीत] श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम श्री [संगीत] राम श्री राम श्री राम श्री राम [संगीत] श्री [संगीत]
राम श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम जय श्री रामावतार के समय एक बार देखा तो था इन्हें वही वानर आकृति है शरीर से कैसा तेज निकल रहा है जय श्री राम आश्चर्य है इतना समय बीत जाने पर भी यह प्रतीत होता है जैसे अभी यवन में प्रवेश किया हो जय श्री राम हे वान शेष मैं पुत्र गरुड़ हूं लोक प्रकाशक भगवान सूर्य के सारथी अरुण मेरे अग्रज [संगीत] [संगीत] है [संगीत] जय श्री राम राम नाम में विघ्न डालने वाले कौन हो तुम मैं मैं कश पुत्र गरुड़ श्री राम क्षमा करें पक्षीराज हे वंते आपको कोई क्षति तो नहीं पहुंची मैं जगतपति का भार उठाता हूं मुझे
शति पहुंचा सके ऐसी कोई शक्ति संसार में नहीं है निसंदेह आपकी शक्ति से कौन परिचित नहीं है आप भगवान के प्रिय भक्तों में से हैं आप पर उनकी विशेष कृपा रहती है आज आपके पुनः दर्शन करके हृदय शीतल हो [संगीत] गया आइए कुछ देर राम नाम का संकीर्तन करते हैं श्री राम राम रघुनंदन राम राम श्री राम राम श्री राम रामय संकीर्तन करने का समय नहीं है राम श्री राम राम भगवान श्री कृष्ण ने आपको तत्काल ले आने का आदेश दिया [संगीत] है किसने आदेश दिया है द्वारकाधीश यदुकुल भूषण हमारे स्वामी श्री कृष्ण ने मुझे उनसे क्या काम क्या काम वे
परात्पर ब्रम गलोक के स्वामी श्री कृष्ण है क्षमा करें मैं तो अपने प्रभु श्री राम का दास हूं उनके अतिरिक्त मैं किसी और को नहीं जानता हे वानर चिरंजीवी आप अवश्य हो गए हैं किंतु आप रे वानर ही रहे देखिए स्वेच्छा से चलिए अन्यथा अन्यथा अन्यथा आपको बांध कर ले जाने के लिए मेरे पास पाश भी है बोलिए चलेंगे कि नहीं होय सोही जो राम रची राखा बहुत हो गया लगता है अब गरुड़ पाश का प्रयोग करना ही होगा [संगीत] [संगीत] जय श्री राम [संगीत] जय श्री [संगीत] राम उन्होंने आने से मना कर दिया नाथ आप तो उनके गुण गाते नहीं थक रहे
थे किंतु आपके भक्त शिरोमणि तो बड़े ही अहंकारी सिद्ध हुए भूल मेरी है आप हनुमान से जाकर कहिए कि श्री राम उनका स्मरण कर रहे हैं स्वामी स्वामी वे बड़े ही उद्दंड है निश्चिंत रहे पक्षीराज राम का नाम सुनकर फ दौड़े चले आएंगे और यदि ना भी आए तो इस बार आप उन्हें पल पूर्वक ले आइएगा वैसे भी आपके बल और गति के आगे कोई क्या ठहरेगा पक्षी [संगीत] [संगीत] रा श्री राम श्री राम श्री राम हे कपी प्रभु श्री राम द्वारका में आपका स्मरण कर रहे [संगीत] [संगीत] हैं [संगीत] आप धन्य है [संगीत] पक्षीराज मेरे प्रभु श्री राम का संदेश
लाने वाले हे विनते आप सदैव प्रभु के प्रिय बने [संगीत] रहे जय श्री राम [संगीत] [संगीत] सूर्य देव [संगीत] [संगीत] हे नाथ भ कंप आ रहा है सब टोल क्यों रही थी प्रभु किंतु प्रभु और रुक्मण दीदी पर कोई प्रभाव नहीं हुआ प्राण वल्लभ कहीं आपने असमय प्रलय लीला तो नहीं आरंभ कर दी नहीं प्रियतमा ना तो भूकंप आ रहा है और ना ही प्रलय तो फिर भक्त शिरोमणि आंजनेय हनुमान आ रहे [संगीत] हैं [संगीत] ठहर आगे प्रवेश वर्जित है प्रणाम करता हूं अष्ट शिरोमणि मैं केसरी पुत्र हनुमान हूं रघुकुल तिलक प्रभु श्री राम का एक तुच्छ दास हूं आप कोई भी हो यहां किस प्रयोजन से
आए हैं मुझे मेरे स्वामी ने बुलाया है तो यहां क्यों आए हो क्या जानते नहीं यह यदुकुल पालक श्री कृष्ण का राज प्रसाद है होगा मेरे प्रभु ने यही आदेश दिया है व्यर्थ की बातों के लिए मेरे पास समय नहीं है चलिए जाइए यहां से स्वामी की आज्ञा का पालन किए बिना भक्त की कहां [संगीत] गति मुझे भीतर जाना ही होगा मुझसे हट अब देखिए मेरा उग्र [संगीत] रूप होईए सोही जो राम रच राखा [संगीत] [संगीत] [संगीत] [संगीत] सा [संगीत] सा [संगीत] रे [संगीत] [संगीत] [संगीत] आ [संगीत] महाबली हनुमान के लिए अब मुझे राम रूप धारण करना [संगीत]
[प्रशंसा] [संगीत] होगा [संगीत] राम [संगीत] राम राम [संगीत] [संगीत] राम [संगीत] राम राम राम श्री राम राम राम राम राम राम राम श्री राम राम राम राम राम राम राम श्री राम राम राम राम राम राम राम श्री राम राम राम श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम राम राम राम श्री राम राम राम राम राम राम राम श्री राम राम राम राम राम राम राम श्री राम राम राम राम राम राम राम श्री राम राम राम राम [संगीत] [प्रशंसा] माता रामो मत पिता रामचंद्र स्वामी रामो मत सखा रामचंद्र सर्वस्वम में राम चंद्रो
दयालु नर निन्य जाने न जाने ना जाने लोकाभिरामम रण रंग धरम राजीव नेत्रमणि [संगीत] रूपम करुणा करम तम श्री रामचंद्र शरणम [संगीत] प्रपे रामाय राम भद्राय रामचंद्राय वेदसे रघुनाथा नाथाय सीताया पतय नमः [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] आ [संगीत] नाथ मैं निरंतर आपकी वंदना करता हूं आपके चरणों का ध्यान करता हूं पर आज आपके साक्षात शुद्ध चरण कमल से तुलसी की सुगंध से दास का हृदय तृप्त हो गया [संगीत] प्रभु इतने वर्षों पश्चात तुम्हें देखकर मेरा हृदय भी गद गद हो गया प्रिय [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] हनुमान मेरे लिए क्या आदेश है प्रभु ब
हनुमान मुझे यहां द्वारका में देखकर तुम्हारे चित्त में कोई जिज्ञासा तो नहीं उठ रही या कोई और भी बात यदि मन को व्यथित कर रही हो तो संकोच ना करो पूछ लो प्रभु आप संपूर्ण चराचर जगत के स्वामी है आप तीनों लोक में है तीनों कालों में है सभी समय सभी स्थान पर उपस्थित रहते हैं आपके कहीं भी होने में आश्चर्य [संगीत] कैसा पर माता सीता कहीं दिखाई नहीं दे [संगीत] रही और यह आपके समीप यह सेविका कौन [संगीत] [संगीत] है [संगीत] आ माता सीता पुत्र का प्रणाम स्वीकार करें तुम्हारी रघुपति भक्ति निरंतर बढ़ती [संगीत] रहे तुम्हारी रघुपति भक्ति निरंतर बढ़ती रहे
[संगीत] बस [संगीत] [संगीत] [संगीत] [संगीत] [संगीत] हो [संगीत] [संगीत] हमारे अस्त्र को आपने अपने मुख में स्थान दे दिया यह मित्रता कब हुई प्रिया हनुमन इनसे वाद विवाद करने में आपको प्रतीक्षा करनी पड़ती प्रभु इसीलिए मैंने सोचा अपने मुख में ही स्थान दे [संगीत] दूं सा रे रे अंजनी नंदन मेरे समीप इतनी स्त्रियां देखकर भी तुम्हें विस्मय हो रहा होगा हो तो रहा है [संगीत] प्रभु कौन है यह माताएं [संगीत] तुम्हें स्मरण होगा कपी व त्रेता युग में अनुज और सेना सहित मैंने सरयू नदी में जल समाधि ले ली तब से अब तक लाखों वर्षों से तुम
निरंतर मेरे नाम का जाप कर रहे हो और कदाचित तुम्हे भी बोध है वत कि वर्तमान द्वापर युग में मैं श्री कृष्ण रूप में इस पृथ्वी पर फिर से अवतार ले चुका [संगीत] हूं कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा राधे राधे कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा राधे राधे कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा राधे राधे कृष् [प्रशंसा] कृष् और कदाचित तुम्हें यह भी ज्ञात होगा इस अवतार में मैं 16 सहस 108 रानियों का स्वामी हू यहां उपस्थित यह सारी स्त्रिया मेरी विवाहिता [संगीत] है तुम तो सदैव मेरे हृदय में वास करते हो प्रियवर तुम तो मेरा स्वभाव जानते हो मैं
समदर्शी हूं सबके साथ समान भाव रखता हूं केवल तुम जैसे भक्तों पर मेरी विशेष कृपा रहती है मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूं [संगीत] हनुमान मांगो वर [प्रशंसा] मांगो नाथ यदि आप मुझसे सचमुच प्रसन्न है तो मेरे हृदय में सदैव बसने वाले सीतापति धनुष बाणी प्रभु श्री राम के रूप में मुझे पूर्ण दर्शन [संगीत] [प्रशंसा] दीजिए [संगीत] राम [संगीत] राम राम राम राम श्री राम राम राम राम राम राम राम श्री राम राम राम राम राम राम श्री राम राम राम राम राम राम राम श्री राम राम [संगीत] राम [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] तुम प्रय मुझे कोई नहीं
[संगीत] हनुमान मैं सदैव तुम्हारा ऋणी [संगीत] रहूंगा देखो हनुमान अगले कल्प में तुम्हें ब्रह्मा जी का दायित्व धारण करके इस सृष्टि की रचना करनी होगी करोगे ना जैसी प्रभु की [संगीत] आज्ञा [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] [संगीत] सुनो मित्र सुदर्शन अभी यहां पर परमवीर हनुमान आने वाले हैं सावधान रहना भूलकर भी उनसे उलझना मत नहीं तो अराज वो तो आकर चले भी गए आकर चले गए बल ही नहीं गति में भी वो मुझसे बढ़कर है और मार क्षमता में मुझसे भी बढ़कर [संगीत] मित्र वंते मैं क्षमा चाहता हूं आज मैंने व्यर्थ ही आपके आगे अहंकार
किया नहीं नहीं अस्तर शिरोमणी भूल मेरी थी क्षमा तो मुझे मांगनी [संगीत] चाहिए [संगीत] मैं सब समझ गई [संगीत] ना क्या समझ गई प्रिय य कि आपने यह सारी लीला मेरा गर्व भंग करने के लिए खेली रानी सत्यभामा आपके साथ अस्त्र शिरोमणि सुदर्शन का भी गर्व भंग हो गया है और पक्षीराज गरूर का [संगीत] भी मुझे अपने रूप का अभिमान हो गया था स्वामी मैं यह भी भूल बैठी कि आप कभी किसी पर आसक्त नहीं होते मात्र लीला करते हैं मुझे क्षमा कर दीज नाथ जहां अहंकार होता है वहां प्रेम नहीं रहता अहम के जाते ही भक्त और भगवान में कोई भेद नहीं रह
[प्रशंसा] जाता भक्त स्वयं भगवत रूप हो जाता [प्रशंसा] है यह है प्रेम की शक्ति जानती हो सबसे बड़ा प्रेमी कौन [संगीत] है कौन नाथ पवन पुत्र हनुमान [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] [संगीत] स्वामी आपने महाबली हनुमान से यह क्यों कहा कि मैं तुम्हारा सदैव ऋणी [संगीत] रहूंगा भक्त तो भगवान के जन्म जन्मांतर से ऋणी थे और सदैव रहेंगे परंतु भगवान भक्त का ऋणी हो यह तो महान आश्चर्य का विषय है कारण ही कुछ ऐसा [संगीत] है कि मैं ऋणी हूं और सदैव रहूंगा [संगीत] तो बताइए ना [संगीत] [प्रशंसा] प्रभु बताऊ जी बताइए त
मेघनाथ खतरनाक मायाबी अस्त्र
सुनो वीर हनुमान ने मेरे प्राणों की रक्षा की [संगीत] थी आपके प्राणों की रक्षा मेरी ही नहीं शेष अवतार लक्ष्मण की और 64 करोड़ वानरों की भी जीवन रक्षा की थी यह लंका युद्ध की बात हमारी सेना के अद्भुत पराक्रम से राक्षस सेना त्राहि तही करने लगी तो रावण ने अपने मायावी पुत्र मेघनाथ को युद्ध भूमि में भेजा यह मेघनाथ बड़ा ही कुशल योद्धा था उसने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करके हमारी संपूर्ण सेना को मसन कर दिया मैं अर्थात दशरथ नंदन राम शेषा अवतार लक्ष्मण और वानर राज सुग्रीव सहित सारे योद्धा सब के सब मूर्छित होकर मृत्यु के
मुख में जाने [संगीत] लगे तब बुद्धि जा मवान ने संकट मोचन हनुमान को बुलाया त आप ठीक तो है संपूर्ण सेना की दशा देखो पुत्र सबके प्राण मंद हो रहे हैं हा त सूर्य की प्रथम किरणों के साथ य सभी सैनिकों के प्राण बेरू हो जाए अब केवल तुम ही हम सबकी प्राण रक्षा कर सकते हो [प्रशंसा] हनुमान किसी दूसरे में योग्यता नहीं है श्री राम भी इस घड़ी में तुम्हारे पराक्रम के आसरे और मेरा पराक्रम मेरे प्रभु श्री राम के आसरे मैं जानता हूं पुत्र तुम्ह बहुत दूर जाना होगा और ब्रह्मास्त्र के उपचार के लिए औषधिया लानी होंगी पुत्र हिमालय हिमालय तो यहां से सहस्त्र
योजन की दूरी पर है चकित ना हो राक्षस राज विलक्षण हनुमान पवन पुत्र और पूरी तरह सक्षम उनके लिए ना तो कोई कार्य दुष्कर और ना कोई स्थान दुर्गम आप औषधिया बताइए दात उनके नाम ध्यान से सुनो पु मृत संजीवनी वि शल्य करणी सुवर्ण करणी और संघन यह हिमालय पर कहां प्राप्त होंगी दात ऋषभ नामक सुवर्ण में शिखर और शंकर जी के निवास कैलाश के बीच द्रोण नामक एक पर्वत है जो अपने प्रकाश से अलग ही दिखाई देता है पर्वत पर यह चारों औषधिया मिलेंगी जो अपनी विशेष आभा से चमकती रहती मुझे आज्ञा दीजिए तात सफल होकर लौटो पु ध्यान रहे सूर्योदय के पूर्वी मैं अभी
औषधिया लेकर आपके सामने उपस्थित होता हूं जय श्री राम सूर्य उदय के पूर द्रोण पर्वत से औष लाना अति दुष्कर ही नहीं असंभव वानर सेना के सारे के सारे यो मेघनाथ के ब्रह्मास्त्र से आहत होकर मरणासन पड़े हुए हैं ये अति दुष्कर का [संगीत] करेगा कौन इस असंभव कार्य को करने का संकल्प हनुमान ने ले लिया किसने उसी हनुमान ने जिसने हमारी सुनहरी लंका को अपनी पूच से जलाकर काला कर दिया .
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